शौक़ से कभी, कभी यूँही,
लिख लेता हूँ हाले दिल,
बंद कमरों और सर्द हवा के दरम्यान,
कही तो ग़ुबार निकाले दिल,
मर्ज़, मर्ज़ी, मुहब्बत,म्यस्सर,मैखाना,
शराब, यादें, ग़ज़ल, क्या कहेगा ज़माना,
पर,
तुम आना, तुम जाना,
मुझे भी ना बताना…